Friday, 11 August 2017

Dahi Handi Festival - दही हांडी के त्यौहार की जानकारी

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दही हांडी त्यौहार २०१७: ये त्यौहार महाराष्ट्र (इंडिया) मे काफी ख़ुशी के साथ मनाया जाता है | यह त्यौहार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के समय काफी ख़ुशी के साथ मनाया जाता है | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार लोग अपने भगवान कृष्ण के जन्म के ख़ुशी मे मानते है | इस ख़ुशी के अवसर पर लोग पहले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाते है और फिर पुरे उत्साह के साथ दही हांडी का त्यौहार मनाते है | इस पर्व को मानाने के लिए कई लोगों की अव्यशकता होती है जिसके लिए कई जवान जमा होते है | दही हांडी के उत्सव के मनाने का एक अनुखा ही अंदाज है इसके लिए ऊँचाई पर हांडी मे दही डालकर रस्सी के माध्यम से ऊँचाई पे इस हांडी को लटका दिया जाता है और कई जवानों के मदद से इसको तोड़ने का प्रयास किया जाता है | ये दही हांडी का त्यौहार सिर्फ और सिर्फ खेल के रूप मे होता है जिसमे काफी प्रसन्ता मिलती है | और सबसे बड़ी बात ये है की इस खेल मे उस दल को इनाम भी दिया जाता है | दही हांडी का खेल आम तौर पर किसी भी साल के अगस्त -सितम्बर के बिच मे ही होता है |  इस वर्ष २०१७ दही हांडी का पर्व 15 अगस्त को मनाया जायेगा कियोंकि 14 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी का पर्व है | मैं सोच रहा था की इस त्यौहार के बारे मे आपसे कुछ बातें करू |
दही हांडी फेस्टिवल 


आखिर दही हांडी त्यौहार हम क्यों मनाते है ?

दही हांडी के त्यौहार को मनाने लिए हम किसी की याद को अपने दिल मे जगह देते है कहा जाता है की ये त्यौहार बाल गोपाल के जन्म के वजह से हम बड़े धूम धाम से मनाते है इसकी किया वजह है | तो चलिए हम जानते है की बाल गोपाल भगवान श्रीकृष्ण बचपन से ही दही, दूध के बहुत बड़े शौक़ीन थे और उनको ये खाना पहुत पसंद था | श्रीकृष्ण जी से उनकी माता जी यशोदा इन सब चीजो को बचने के लिए किसी ऊँची जगह पर रख देते थे, मगर बाल गोपाल अपने दोस्तों की मदद से वहां तक पहुच जाते थे और अपनी शौक को पुरा कर लेते थे | बाल गोपाल की याद मे भक्त लोग इस दही हांडी के त्यौहार को काफी ख़ुशी के साथ मनाते है |

भारत में दही हांडी का पर्व


पुरे भारत में दही हांडी पर्व को बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता हैं दही हांडी पर्व के समय पुरे भारत के विभिन्न जगहों पर इस पर्व को मनाने के लिए धार्मिक रूप से सजाया जाता हैं | भारत के निम्न स्थानो पर इस पर्व को मनाया  जाता हैं |
  1. महाराष्ट्र में इस पर्व की रोनक सबसे अधिक देखने को मिलती हैं वंहा के लोग सबसे जयादा इस पर्व को धूम धाम से मनाते हैं खासकर पुणे के दही हांडी के पर्व को पुरे रीती रिवाज के साथ मनाया जाता हैं इस पर्व को मनाने के लिए युवाओं में काफी रूचि देखने को मितली हैं योवाओ के कई दल एक के बाद एक दही हांडी को तोड़ने का प्रयत्नं करते हैं | इस समय महाराष्ट्र के कई जगहों पत्र ‘गोविंदा आला रे’ का शोर सुनने को मिलता हैं | जिसका मतलब साफ है की भगवान श्रीकृष्ण आ चुके है |
  2. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म up के मथुरा शहर मे हुवा है इस कारण मथुरा मे इस तयौहर को और भी जोर शोर से मनाते है | मथुरा की एक खास बात यह भी है की यहाँ भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म स्थान के कारण शहर के चप्पे चप्पे को दुल्हन के तरह सजाया जाता है जिसके कारण और ही इसकी रोनक बढ़ जाती है | आप यह भी जानते होंगे की भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थान को लेकर कृष्ण भक्त दूर-दूर से इकट्ठा होते है और इसकी रोनक बढ़ाते है |
  3. वृन्दवंद मे भी दही हांडी का तयौहत बहुत है धूम धाम से मनाया जाता है कियोंकि यहाँ भगवान श्रीकृष्ण जी का बहुत जयादा मंदिर है और इस सब कारण से लोगो मे जयादा ही इसकी सरधा है |

आप दही हांडी पर्व कैसे मनाएं ?


इस पर्व की कहानी भी बहुत दिलचस्प है | इस तयौहर को श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी के दुसरे दिन काफी जोश के साथ मनाते है और अपने दिल की चाहत को दूसरों के सामने लाते है | इस पर्व के लिए उस दिन मिट्टी के हांडी मे दही, दूध, मक्खन, फुल, और भी कई वास्तु इसके अन्दर डालते है और इसको रस्सी के माध्यम से एक ऊँची जगह पर लटका देते है और उसको कई जवानों के माध्यम से ऊपर चढ़ने की कोशिश करते है और इसको तोड़ने की कोशिश करते है और इसमें सफल भी होते है | इसमें जितने वाले ग्रुप को इनाम भी दिया जाता है |
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