Thursday, 17 August 2017

Doklam Issue between India, Bhutan and China - डोकलाम विवाद भारत, भूटान और चीन के बिच

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दोस्तों मैं जो आज आपके सामने बात करने जा रहा हूँ वो हमारे लिए बहुत बड़ी है और इसको जानना हम सब के लिए बहुत जरुरी है | कियोंकि अगर हम अपने इतिहास को नहीं जानेंगे तो हमारे लिए बहुत ही दुःख की बात है तो चलये अब हम बात करते है डोकलाम विवाद की और जानते है है की डोकलाम विवाद किया है | डोकलाम नाम की जगह हमारे भारतीय राज्य जो सिक्किम है उससे सिक्किम से जुड़ा (सटा) हुवा है | जो चीन और भूटान के पठारी सीमा को भी छुता है | यह सीमा हमेशा से ही विवादों मे घिरा रहा है, कियोंकि आप इसके बारे जानते है की ये सीमा जो भारत, चीन और भूटान है तीनों ही इससे घिरा है और इसको तिहरी जक्शन छेत्र कहा जाता है | लेकिन आपको सबसे पहले ये भी जानना होगा की आखिर डोकलाम किसके सीमा मे आता है तो आप जान लीजये की डोकलाम भूटान के छेत्र मे आता है, लेकिन फिर भी चीन अपनी ताकत के वजह से इसपर अपना प्रभाव बनाये हुवे है | जिसकी वजह से ये छेत्र पहले से ही इन दोनों मुल्कों के लडाई का वजह बना हुवा है, ये थोड़ी सी कुछ झलक थी जो मैं ने आपके सामने रखी लेकिन इसको विस्तार से आपको बताऊंगा आप इत्मिनान रखें |



डोकलाम विवाद का इतिहास


दोस्तों अब हम बात करते है डोकलाम विवाद के बारे डोकलाम विवाद का मुख्य कारण उसकी अवस्थिति है | और यह एक ट्राई-जंक्शन है, जहाँ पे भारत, चीन और भूटान की सीमा मिलती है | लिकिन भारत इस छेत्र पर कोई दावा नहीं करता है | सर इस छेत्र को लेकर चीन और भूटान के बिच लडाई है | फ़िलहाल इस पर चीन का कब्ज़ा है | भूटान और भारत के बिच १९४९ से ही दोस्ती का रिश्ता है और दोनों देशों के बिच सैन्य सहयोग का भी करार है, और 2007 मे दोनों देशों (भारत और भूटान) के बिच कुछ चीजो पर signature भी हुवे थे | 1988 के बाद से ही चीन भूटान के कुछ छेत्र पर अतिकर्मन करता आ रहा है | 


एंग्लो-चीनी संधि, १८९० मे ब्रिटिश आयुक्त एडब्लूयु और चीनी आयुक्त हो चांग जंग के बिच तेजारती रिश्तों और चुम्बी घाटी की सीमा हदबंदी को लेकर हवी थी | जिसको चीन और भूटान ने १९८८ और १९९८ मे हुवे भूमि बिल समझौते के जरिये से यथासिथिति रखते हुवे डोकलाम विवाद छेत्र मे शांति की बहाली पर अपनी अपनी रजामंदी जाहिर की थी | अगर आप हकीकत मे जाने तो डोकलाम तिब्बत के यातुंग बाजार का एक हिस्सा था | लेकिन जब चीन और भूटान के बिच दावा किया जाने वाला एक विवादित छेत्र है, कियोंकि डोकलाम चुम्बी घाटी का हिस्सा तिब्बत मे है | डोकलाम भारतद के नाथुला दर्रे से 15 किलोमीटर की दुरी मे जो दक्षिण और पूर्व मे है | जो भारत और चीन को 30 किलोमीटर तक अलग करता है | जबके चीन का कहना है की डोकलाम हमारी जगह है कियोंकि डोकलाम नाम का प्रयोग तिब्बत के चारागाह करते थे (ऐसा चीनियों का कहना है) और उनकी ये भी कहना है की १९६० से पहले तक भूटान के चरवाहे हम से (चीन) से इजाजत लेकर ही इस छेत्र को अपने प्रयोग मे लाते थे, लेकिन चीन का ऐसा कहना किसी इतिहास मे नहीं मिलता है |

भारत सरकार के कुछ महत्वपूर्ण योजनाए जिसके बारे में आप यहाँ से जान सकते है :


अभी डोकलाम की स्तिथि 

अभी जो डोकलाम के बारे मे इतनी बड़ी खबरें हमें पढने को मिलती है उसके पीछे की सच्चाई आपको बताता हु | असल मे अभी ये विवाद इसलिए जयादा ही लम्बा पकड़ता गया कियोंकि चीन ने वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) के तहत अपने सड़क को बनाने के लिए किया जिसको तिब्बत से जोड़ा जाता | कियोंकि चीन उस रोड का निर्माण उन तिन बिन्दुवाओ से करना चाहता था जो भारत और भूटान के पास है | अगर ऐसा होता तो भारत और भूटान दोनों देशों की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता था | इसलिए 29 जून को सबसे पहले भूटान ने इस सड़क के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया और अपने सैनिक को वहां पे पुरे तय्यारी के साथ खड़ा कर दिया | उसके बाद भारत ने भी इस सड़क के खिलाफ अपनी असहमति देखाई और इसका विरोध किया | भूटान का चीन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है लेकिन भूटान का भारत के साथ आपसी रिश्ता है |

भारत और चीन का विवाद: भारत और चीन मे विवाद का असल जड़ ये है की भारत को पूर्वात्तर से जोड़ने वाला चिकेन नेग का हिस्सा जो सिल्लिगोड़ी कोरिडोर चुम्बी वैली से सिर्फ और सिर्फ 100 किलोमीटर की दुरी पर है | कियोंकि चाईना ने रोड बनाते हुवे चुम्बी वैली से डोकलाम तक अपनी पहुँच बनाई है, जिससे भारत के सुरक्षा को खतरा हो सकता है | कियोंकि भारत अब पहले वाली बात को फिर से दुहराना नहीं चाहता जो की १९६२ मे हुवी थी | यही वजह थी की भारत ने इसका बहुत ही कड़े शब्दों मे इसका विरोध किया और करना भी चाहिए |

भारत और चीन एक दुसरे को नहीं पछाड़ सकता 


आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए की भारत और चीन एक दुसरे के मुकाबिल जयादा मजबूत है | कियोंकि तिब्बती गुरु दलाई लामा का कहना है की भारत चीन को पडोसी की तरह रहना चाहिए, और उन्होंने ये भी कहा की हिंदी-चीनी भाई भाई की भावना को आगे बढ़ने की जरुरत है | जब अपनी बात कह रहे थे तो उन्होंने १९५१ का भी जिक्र किया की तिब्बत सरकार और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाईना के बिच 17 चीजो पर एक साथ दस्तखत किये थे | इसलिए हमें चाहिए की एक साथ रहे |

भूटान कियों चाहता है की भारत दखल दे

आये हम जानने की कोशिश करते है है की आखिर भूटान कियों चाहता है की भारत चीन के मामले मे दखल दे | असल मे भूटान का चीन के साथ कोई भी रिश्ता नहीं है और भूटान एक लम्बे टाइम से चीन से परेशान है | भूटान मे पहले से ही ऐसी 7 जगहें है जहाँ चीन और भूटान के बिच विवाद चल रहा है | उसमे से कुछ खास जगहों का मैं यहाँ आपके सामने जिक्र कर दूँ, पसमंगल, डॉकलम पठार और ज्कार्लिंग है | चीन डोकलाम के हिस्से पर बहुत पहले से ही नजर जमाये हुवे है कियोंकि उससे भारत को नुकसान पहुंचाए | कियोंकि चीन एक लम्बे समय से भारत के सीमा वाले इलाके पर आँख गडाए हुवे है | और भारत से जिस देश की सीमाए करीब है उससे दोस्ती बढ़ने मे लगा है | ताके हम भारत को नुकसान पहुंचाए, ये डोकलाम एक इस्सू है | इलिए आप भी सतर्क रहे |
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